इन्डो जर्मन सोसाईटी की 50वीं वर्षगाठ पर संम्पन्न हुआ दो दिवसीय कार्यक्रम
12 फरवरी, 2016 को मानवाधिकार जननिगरानी समिति व मालवीय सेंटर फॉर पीस
रिसर्च बी0एच0यू0, वाराणसी के संयुक्त तत्वाधान में इंडो जर्मन सोसाइटी
रेम्मसाइड जर्मनी के 50वी सालगिरह के उपलक्ष्य में मालवीय पीस सेंटर में
संगोष्ठी के आयोजन का शुभारम्भ किया गया |
जिसमे इंडो जर्मन सोसाइटी
की सुश्री हेलमा रिच्चा द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को
जो अपने बहुत सघर्षों के बाद भी अपनी शिक्षा जारी रखे है उनकी शिक्षा
जारी रखने इंडो जर्मन सोसाइटी रेम्मसाइड जर्मनी द्वारा 100 बच्चो को
स्कालरशिप पिछले कई वर्षों से दिया जा रहा है | ऐसे 50 बच्चों को सम्मान
पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया |
साथ ही सामाजिक व शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्यनीय योगदान देने के लिए
प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय, डॉ0 मोहम्मद आरिफ व आचार्य मृत्युंजय त्रिपाठी
को उनके सराहनीय कार्यो हेतु “जनमित्र सम्मान” से सम्मानित किया गया | इस
अवसर पर हेलमा रिचा के उत्कृष्ट कार्यो के लिए उन्हें भी सम्मानित किया गया
था |
इस अवसर पर इन्डो जर्मन सोसाईटी द्वारा किये गए के इतिहास पर
एक स्मारिका का विमोचन किया गया, जिसे जर्मनी में जून में होने वाले
कार्यक्रम में इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाईन किया जाएगा |
जर्मनी के
बोन शहर में दुनिया का प्रथम महिला म्यूजियम की 37वीं वर्षगाँठ व बनारस
हिन्दू यूनिवर्सिटी की 100वीं वर्षगाँठ व इन्डो जर्मन सोसाईटी की 50वीं
वर्षगाँठ के उपलक्ष में इन्डो जर्मन सोसाईटी रेमसाईड की अध्यक्षा हेल्म
रिचा ने म्यूजियम में शांति के प्रतीक स्वर्ग की सीढी (जो बोन की वूमेंस
म्यूजियम (Frauenmuseum) में स्थापित है) का प्रतीक शांति के लिए काम करने
वाले मालवीय सेंटर फार पीस रिसर्च के निदेशक व यूनेस्को चेयर डा0 प्रियंकर
उपाद्ध्याय को एक सम्मान भेट किया |
13 फरवरी, 2016 को मानवाधिकार
जननिगरानी समिति के संयुक्त तत्वाधान में इंडो जर्मन सोसाइटी रेम्मसाइड
जर्मनी के 50वी सालगिरह के उपलक्ष्य में कामेश हट होटल, जगतगंज में
संगोष्ठी का आयोजन किया गया | इस संगोष्ठी में भारत और जर्मनी के आम लोगों
के रिश्ते को कैसे मजबूत बनाया जाय इस पर परिचर्चा की गयी | जिसमे इंडो
जर्मन सोसाइटी की अध्यक्षा सुश्री हेलमा रिचा द्वारा वाराणसी में आर्थिक
रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को जो अपने बहुत सघर्षों के बाद भी अपनी
शिक्षा जारी रखे है उनकी शिक्षा जारी रखने इन्डो जर्मन सोसाइटी रेमसाईड
जर्मनी द्वारा 100 बच्चो को स्कालरशिप पिछले कई वर्षों से दिया जा रहा है |
ऐसे 50 बच्चों होटल कामेश हट में सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया
रेमसाईड शहर के लार्ड मेयर बुरखर्ड मस्त वेस्ज़ (Burkhard Mast-Weisz) को
बनारस के बुनकरों-दस्तकारो की ओर से श्री सिद्दीक हसन द्वारा रेमसाईड शहर
के प्रतीक चिन्ह को 5 मई, 2015 को रेमसाईड शहर के सिटी हाल में डा0 लेनिन
रघुवंशी ने दिया था | उस प्रतीक के रूप में मेयर ने एक प्रतीक चिन्ह व अपनी
और हेलमा की फोटो उपहार स्वरुप डा0 लेनिन रघुवंशी को भेट किया |
इन्डो जर्मन सोसाईटी जर्मनी रेमसाईड क्षेत्र के राज्य संसद के सदस्य श्री
स्वेन वोल्फ (Swen wolf) और इन्डो जर्मन सोसाईटी के चेयरमैन श्री हंस
(Hans-Joachim Kiderlen) और जर्मन दूतावास ने भी अपना शुभ सन्देश भेजा है |
कार्यक्रम में स्कालरशिप पाने वाली बच्चियों ने सामाजिक गीत गाकर
कार्यक्रम की शुरुआत की इसके साथ ही कई बच्चियों ने अपना अनुभव साझा किया
कि इस स्कालरशिप कार्यक्रम के सहयोग से कैसे उनके जीवन में बदलाव आया |
इस अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रुति
नागवंशी और असोसिएट प्रोफ़ेसर अर्चना कौशिक की लिखी किताब “Margins To
Centre Stage” हेलमा रिचा को भेट स्वरुप दिया गया |
इसके साथ ही
दो दिवसीय इस संगोष्ठी का समापन किया गया | जिस पर सात सूत्रीय “बनारस
घोषणा” पत्र जारी किया गया | जिसे दुनिया भर की सरकारों को प्रेषित किया
जाएगा | विदित है कि इन्डो जर्मन सोसाईटी, रेमसाईड के 50वीं वर्षगाँठ पर
जारी “बनारस घोषणा” पत्र ने 9 अगस्त, 2014 के बनारस घोषणा पत्र का समर्थन
करते हुए हुए वाराणसी/बनारस/काशी को यूनेस्को द्वारा बहुलतावाद व समवेशीवाद
संस्कृति के इतिहास वाला शहर घोषित करने की मांग की है |