मानवाधिकार
जननिगरानी समिति और समाजकार्य विभाग, काशी
विद्यापीठ वाराणसी संयुक्त रूप से मिलकर आज इस प्रेसवार्ता का आयोजन किया है | इस प्रेस वार्ता के आयोजन का मुख्य कारण यह है कि 15-16
नवम्बर, 2015 को “यातना का अंत-सामूहिक सरोकार” विषयक राष्ट्रीय सम्मलेन के विषय में
आपको जानकारी देना है |
आज के
वर्तमान समय में राज्य कभी स्वयं तो कभी कुछ अवांछनिय तत्वों,संघठनों के साथ मिलकर पीड़ित समुदाय व
वर्ग के साथ यातना करता है | यह एक वैश्विक समस्या है, जिससे आज हर देश, समाज जूझ रहा है और आज यह बात साबित हो
गयी है कि किसी समुदाय या वर्ग को प्रभाव व दबाव में लेने के लिए यातना व हिंसा का
सहारा लिया जाता है | आज समाज के सभी तबके,समुदाय और शिक्षित, बुद्धिजीवी वर्ग में यातना के विभिन्न
स्वरूप के रोकथाम के लिए एक वृहद् विचार विमर्श एवं चर्चा लगातार हो रही है | सभी शिक्षित, बुद्धिजीवी एवं प्रगतिशील वर्ग आज यह
मानता है कि यातना सिर्फ़ शारीरिक नहीं होती है,बल्कि बहुत ही गंभीर रूप में यह मानसिक, मनोवैज्ञानिक एवं सांवेगिक रूप में किया
जाता है| जिसके
फलस्वरूप पीड़ित व समुदाय तनाव, अवसाद, हिंसा,आत्मह्त्या, चिंता व अनिद्रा जैसी भयंकर
मनोवैज्ञानिक एवं मनोसामाजिक समस्याओं से जूझता है | इस सन्दर्भ में समाज कार्य व्यवसाय एवं
मानवाधिकार मूल्यों के परिपेक्ष्य में राज्य और आम ग़रीब नागरिकों को न्याय मिलने
के बीच बढ़ते अंतर, राज्य
द्वारा यातना रोकथाम एवं यातना के स्वरूप के पहचान न होने के कारण पूर्ण उदासिनता
स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है |
इसी प्रक्रिया में हमारी संस्था
मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, नेशनल एलायंस ऑन टेस्टीमनी थेरेपी (NATT) जो कि भारत के 18 स्वयंसेवी संगठनो का एक मंच है के
संयुक्त तत्वाधान में डिग्निटी - डेनिस इंस्टीट्यूट अगेंस्ट टार्चर के सहयोग से 15-16 नवम्बर, 2015 को “यातना का अंत-सामूहिक सरोकार” विषयक सम्मेलन का आयोजन वाराणसी, उत्तर प्रदेश में करने जा रही है | इस कार्यक्रम में पूरे देश के साथ ही साथ विदेशो विशेषकर दक्षिण
एशिया के विभिन्न स्वयंसेवी संगठन, विख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता, शिक्षाविद, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक तथा विभिन्न जगहों से आये
यातना पीड़ित अपने अनुभवों एवं विचारो को रखेगे |
ताकि मानवाधिकार हनन की घटनाओं एवं
विभिन्न हिंसात्मक गतिविधियों,सांप्रदायिक हिंसा एवं यातना से प्रभावित पीड़ितों, आम ग़रीब लोगों को क़ानून के राज एवं भारतीय
संविधान एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार नियम-कानून के अन्तर्गत पीडितो को यातना से
मुक्ति और न्याय दिलाया जा सके और दक्षिण एशिया स्तर पर यातना रोकथाम हेतु विभिन्न
हित्कारको का एक वृहद् मजबूत तंत्र स्थापित किया जाए |