Friday 29 July 2016

मातृत्व शिशु स्वास्थ्य मुद्दे पर चुनौतियां एवं आपबीती इंटरफेस


























माँ एवं नवजात शिशु की मृत्यु की घटना में हर स्तर पर प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है, हम एक भी माँ और शिशु को मरने नही देंगे इसके लिए शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) जैसे अभियान की बहुत ही सम्वेदनशील तरीके से चलाए जाने की आवश्यकता है |
स्वास्थ्य विभाग से स्वास्थ्य संस्थानों चुनौतीपूर्ण स्थितियों, सुविधा एवं संसाधनो के अभावों, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लापरवाही, दुर्व्यवहार एवं उपेक्षा की घटनाओं की शिकायत, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, इलाज में कर्ज लेने को बाध्य स्थितियां, को साझा किया गया |
मातृ शिशु स्वास्थ्य मुद्दे पर चुनौतियां एवं आपबीती इंटरफेस जगतगंज स्थित कामेश हट होटल में जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति के द्वारा आयोजित किया गया | स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित महिलाओं बच्चों की पहुंच सुनिश्चित हो, उनमें आ रहे बाधाओं की पहचान करके उन्हें दूर किया जा सके जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु के कारणों को दूर करते हुए एनीमिया, कुपोषण एवं बच्चों में रुग्णता की दर में कमी लाया जाए, वंचित वर्ग का सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर विश्वास बढ़े | इसी उद्देश्य की अपेक्षा से संस्था द्वारा स्वास्थ्य विभाग के साथ इंटरफेस का आयोजन किया गया |
सेवा प्राप्त करने में आ रही चुनौतियों, व्यवहारिक समस्याएँ बाधाओं को स्वास्थ्य विभाग से साझा किया गया | इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों उपस्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला महिला चिकित्सालय आदि की स्थितियों, स्वास्थ्य कर्मीयों के कमी उनके कार्यदबाव आदि को इस उद्देश्य के साथ साझा किया गया कि विभाग कमियों को पहचान कर उनमें सुधार और गुणवत्ता विकास का कार्य करें, जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सूचकांक बेहतर हो सकें |
इस मौके पर सरकार द्वारा संचालित सेवाओं के मानकीकरण के आधार “मातृत्व नवजात शिशु स्वास्थ्य टूलकिट”/ MNH toolcit के अनुसार मातृ नवजात शिशु स्वास्थ्य संस्थानों वर्गीकृत Level 1 के 33 केन्द्र, Level 2 के केन्द्र 10, Level 3 के 3 कुल 46 स्वास्थ्य केन्द्र स्थितियों का आंकलन रिपोर्ट भी साझा किया गया जो बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति में है |
इलाज के लिए कर्ज लिए परिवारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन भी रखा गया जिसमें यह तथ्य उभरकर आया कि गरीब एवं वंचित समुदाय से सम्बध ये परिवार पहले सरकारी चिकित्सालय में इलाज के लिए गए | लेकिन उपेक्षा का शिकार होकर विवशता में ग्रामीण क्षेत्र के कस्बे बाजार के गैर पंजीकृत प्राइवेट क्लिनिक में भारी कर्ज लेकर इलाज कराया | ये प्राइवेट क्लिनिक वे हैं जिनके दक्षता का कोई भी प्रमाण उनके पास नही होता है | जब इस इलाज से भी बीमार नही ठीक हो पाया तो उनके द्वारा झाड़फूंक के लिए भी कर्ज लिया गया | अधिकांश परिवार बीमारी ठीक नही होने के कारण झाड़फूंक भी कराया गया |
यंहा तक कि सरकारी चिकित्सालय में JSSK एवं JSY के तहत प्रसव सेवा पूर्णत: निःशुल्क है लेकिन उन पर आने वाले खर्चो के लिए भी कर्ज लेना पड़ा क्योंकि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उनकी खतरे की स्थिति बताकर प्राइवेट में भेंज दिया गया | समिति द्वारा विभागीय सोशल आदित पद्धति के आधार पर किया गया जिसके अनुसार मातृ मृत्यु की इन सभी धटनाओं में डाक्टरों ने महिलाओं में खून की कमी को ही प्रमुख कारणों बताया | लेकिन गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोली समय से मिले और वे 100 गोली खाए इसके लिए समय से प्रबन्धन उपलब्धता, खाने के तरीके पर कोई ठोस पहल और प्रयासों में भारी कमीयां हैं | सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य में शिशु एवं मातृ मृत्यु को न्यूनतम किया जाएगा तय किया गया | हाल के समय में मातृ मृत्यु, नवजात शिशु मृत्यु, के दर में काफी गिरावट आया है, लेकिन क्या संतोष कर लिए जाने का विषय हो सकता है | ऊतर प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 392 है वंही भारत में 178 है |(SRS 2010-2012) AHS 2012-2013 के अनुसार वाराणसी 281 मातृ मृत्यु के आकड़ें हैं | माँ एवं नवजात शिशु की मृत्यु की घटना में हर स्तर पर प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है हम एक भी माँ और शिशु को मरने नही देंगे इसके लिए शून्य सहिष्णुता ( Zero Tolerance) जैसे अभियान की बहुत ही सम्वेदनशील तरीके से चलाए जाने की आवश्यकता है | एनम के वर्कलोड का अध्ययन भी रखा गया, अध्ययन में स्पष्ट रहा कि, एनम पर अधिक मानव भार का दबाव है, वे माईक्रोप्लान के दिन भी वे अपने परियोजना क्षेत्र के सभी लाभार्थी समूह को टीकाकरण एवं स्वास्थ्य जाँच सेवा नही दे पा रही हैं | जिससे गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को समय से निर्धारित सभी टीके नही लग पाता है | कोल्डचेन की दुरी, आशा बहु की नियुक्ति ना होना, एनम की कम संख्या होने के कारण कार्य की गुणवत्ता एवं सम्पूर्ण टीकाकरण बहुत ही प्रभावित है | पुआरी कला, पुआरी खुर्द, आयर, (2 वर्ष से जिलाधिकारी द्वारा गोद लिया गया) जैसे ग्रामों में मानक अनुसार आशा की नियुक्ति नही की जा सका है | पुआरी कला में 14 हजार की आबादी पर 3 आशा, पुआरी खुर्द में 5 हजार की आबादी पर 2 आशा, आयर में 6 हजार की आबादी पर 2 आशा बहु की नियुक्ति है जिनकी मांग के बावजूद भी नियुक्ति नही किया जा सका है |
बलात्कार एवं घरेलू महिला हिंसा की घटनाओं में पीड़िताओं के चिकित्सीय परिक्षण/मेडिकल किए जाने के मामले में डाक्टरों द्वारा की जा रही हीला हवाली, लापरवाही उत्पीडकों से गठजोड़ की शिकायत भी सिफारिशों के साथ की गई |
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बी. बी. सिंह, संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक डा. प्रसून कुमार, शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय से सुपरिटेंडेट डा. अरविन्द सिंह, राजकीय महिला चिकित्सालय से डा. प्रियंका, काउंसलर सारिका चौरसिया, पंडित दीनदयाल जिला चिकित्सालय से डा. अनूप कुमार, सामाजिक चिंतक एवं मानव अधिकार कार्यकर्ता डा. मोहम्मद आरिफ समिति के निदेशक डा. लेनिन रघुवंशी प्रमुख रूप से शामिल हुए और स्वास्थ्य की समस्याओं को बड़ी गम्भीरता से सुना और समस्याओं के निदान की बात कही |
कार्यक्रम का संचालन श्रुति नागवंशी ने किया एवं स्तिथियों को धन्यवाद ज्ञापन डा0 राजीव सिंह ने दिया |

No comments:

Post a Comment